यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग (UGC) ने सिंगानिया यूनिवर्सिटी (Jhunjhunu), OPJS यूनिवर्सिटी (Churu), और Sunrise University (Alwar) को 2025–26 से 2029–30 तक पाँच शैक्षणिक वर्षों के लिए PhD प्रवेश पर पाबंदी लगाई है। इस दौरान ये संस्थान नए शोधार्थियों को PhD कार्यक्रम में नामांकन नहीं कर सकेंगे
- इस कदम के पीछे श standing committee की रिपोर्ट है, जिसने पाया कि इन विश्वविद्यालयों ने UGC की PhD नियमावली, प्रवेश प्रक्रियाएँ, RAC (Research Advisory Committee) गठन, और थीसिस मूल्यांकन के मानकों का उल्लंघन किया
- नियमों का उल्लंघन: PhD दर्ज करने की प्रक्रिया UGC के निर्देशों के अनुसार नहीं थी—जैसे प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार का उचित विभाजन (70:30), RAC के माध्यम से सेमेस्टर रिपोर्टिंग, और मूल्यांकन के लिए योग्य पर्यवेक्षकों का चयन |
- देर से जवाब: UGC द्वारा उल्लंघनों के लिए विश्वविद्यालयों को जवाब देने का मौका मिला, लेकिन जो उत्तर प्राप्त हुए वे संतोषप्रद नहीं थे ।
- शैक्षणिक प्रतिष्ठा की रक्षा: UGC की अध्यक्षता में मि॰ जगदीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि उच्च शिक्षण की गुणवत्ता और शैक्षणिक मानकों को बनाए रखना प्राथमिकता है और उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
UGC का स्टैंड और निर्देश
- UGC ने इन तीनों विश्वविद्यालयों को तत्काल प्रभाव से PhD प्रवेश रोकने का आदेश दिया है।
- छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी गई है कि वे इन संस्थानों में PhD प्रवेश न लें, क्योंकि दौरान किसी भी समय मिलने वाला डिग्री मान्यता प्राप्त नहीं मानी जाएगी, और उच्च शिक्षा या रोज़गार में उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा ।
UGC का यह कदम क्यों महत्वपूर्ण?
- गुणवत्ता की गारंटी: यह निर्णय UGC की ओर से यह सुनिश्चित करता है कि सभी विश्वविद्यालय मानदंडों और ऐकडेमिक नियमों का पालन करें।
- आगे की कार्रवाई: UGC ने उल्लेख किया है कि वह अन्य 30 से अधिक विश्वविद्यालयों की भी जांच कर रहा है, और भविष्य में यदि कोई और उल्लंघन पाया गया तो इसी तरह की कार्यवाही संभव है ।