राज्यसभा में सरकार ने जानकारी दी है कि पिछले 5 वर्षों में 11 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने ₹8,936 करोड़ का जुर्माना वसूला है। यह जुर्माना उन ग्राहकों से वसूला गया है जिन्होंने अपने सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाए नहीं रखा।
इसमें सबसे ज्यादा वसूली इंडियन बैंक द्वारा की गई, जिसने अकेले ₹1,828 करोड़ वसूले। झुंझुनूं जैसे ग्रामीण जिलों में, जहां ग्राहक की आय अनियमित होती है, वहां यह एक बड़ा मुद्दा है।
सरकार ने अब बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे इन जुर्मानों को तर्कसंगत बनाएं, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों के ग्राहकों के लिए। कुछ खातों जैसे जन धन योजना, बेसिक सेविंग अकाउंट, और सैलरी अकाउंट को इस नियम से छूट मिली हुई है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 7 सार्वजनिक बैंक पहले ही इन दिशानिर्देशों का पालन कर चुके हैं और बाकी 4 बैंक जल्द करेंगे। लेकिन प्राइवेट बैंक अभी पूरी तरह से पालन नहीं कर रहे हैं।
किन बैंकों ने कितना जुर्माना वसूला (₹ करोड़ में)
| बैंक | वसूली राशि |
|---|---|
| इंडियन बैंक | ₹1,828 |
| पंजाब नेशनल बैंक | ₹1,662 |
| बैंक ऑफ बड़ौदा | ₹1,532 |
| केनरा बैंक | ₹1,213 |
| बैंक ऑफ इंडिया | ₹810 |
| सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया | ₹588 |
| बैंक ऑफ महाराष्ट्र | ₹535 |
| यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | ₹485 |
| यूको बैंक | ₹120 |
| पंजाब एंड सिंध बैंक | ₹101 |
| इंडियन ओवरसीज बैंक | ₹62 |
| कुल राशि | ₹8,936 |
झुंझुनूं में रहने वाले कई ग्राहक पीएनबी, एसबीआई और इंडियन बैंक जैसे सार्वजनिक बैंकों में सेविंग अकाउंट रखते हैं। ग्रामीण और मजदूरी करने वाले परिवारों में मिनिमम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल होता है, जिससे हर महीने जुर्माना कटता है। सरकार के नए निर्देश से उम्मीद है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को जुर्माने से राहत मिल सकती है, खासकर अगर उनका खाता जनधन या बेसिक सेविंग खाता है।






