देश के कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत देश के 100 चुनिंदा कृषि जिलों को बहुआयामी ढंग से विकसित किया जाएगा।
यह योजना जनवरी 2018 में शुरू की गई आकांक्षी जिलों की योजना (ADP) की तर्ज पर तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य पिछड़े जिलों का तीव्र विकास था। अब वही मॉडल खेती और किसान कल्याण के लिए लागू किया जाएगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इस योजना के तहत प्रति वर्ष ₹24,000 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है, जो कि वित्तीय वर्ष 2025-26 से शुरू होकर अगले 6 वर्षों तक लागू रहेगी।
इस योजना को लागू करने के लिए 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एक साथ जोड़ा जाएगा, ताकि सभी संसाधनों का समन्वय हो और कृषि का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।
100 जिलों का चयन तीन प्रमुख मानकों के आधार पर किया जाएगा:
- कृषि उत्पादन की कम दर
- मध्यम फसल तीव्रता (crop intensity)
- कृषि ऋण में औसत से कम प्रदर्शन
यानी वे जिले जिनमें खेती के हालात कमजोर हैं, उन्हें विशेष सहायता और विकास योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
हर जिले में “जिला धन-धान्य समिति” बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता जिला कलेक्टर करेंगे और उसमें प्रगतिशील किसान भी शामिल होंगे।
यह समिति एक विस्तृत जिला कृषि एवं सहवर्ती गतिविधियों की योजना (District Agriculture & Allied Activities Plan) तैयार करेगी, जिसमें फसल विविधता, जल और मृदा संरक्षण, प्राकृतिक और जैविक खेती को प्राथमिकता दी जाएगी।
- हर जिले को राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ा जाएगा, जो तकनीकी ज्ञान साझेदार के रूप में काम करेंगे।
- केंद्रीय नोडल अधिकारी (CNO) नियुक्त किए जाएंगे, जो जमीनी निरीक्षण और प्रगति की समीक्षा करेंगे।
- जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समिति गठित की जाएंगी।
इस योजना की निगरानी और मार्गदर्शन का कार्य नीति आयोग करेगा — जैसे वह आकांक्षी जिलों में करता आया है।






