उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस्तीफा देने के बाद संसद से विदाई करते हुए

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, किठाना गांव में मायूसी और गर्व की लहर

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया। किठाना गांव में भावुक माहौल, गांववालों ने कहा – वह हमारे लिए हमेशा उपराष्ट्रपति ही रहेंगे।

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए पत्र में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए त्यागपत्र सौंपा।

  • प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति का आभार
  • संसद सदस्यों से मिले स्नेह और सम्मान को ‘जीवन की अमूल्य पूंजी’ बताया
  • भारत के आर्थिक बदलाव और वैश्विक मंच पर बढ़ते कद को देखना बताया “संतोष का विषय”

किठाना गांव में भावुक माहौल

धनखड़ के इस्तीफे की खबर जैसे ही झुंझुनूं जिले के किठाना गांव पहुंची, वहां गर्व और भावुकता का मिला-जुला माहौल बन गया।

  • ग्रामीण बोले: “वे हमारे लिए हमेशा उपराष्ट्रपति ही रहेंगे।”
  • गांववालों का कहना है कि धनखड़ ने किठाना को जो राष्ट्रीय पहचान दिलाई, वह हमेशा अमर रहेगी।
  • उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ अब भी समय-समय पर गांव आती रहती थीं।

जीवन परिचय

  • जन्म: 18 मई 1951, किठाना गांव, चिड़ावा तहसील
  • प्रारंभिक शिक्षा: किठाना व घरड़ाना के सरकारी विद्यालय
  • उच्च शिक्षा: राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर (LLB)
  • पेशा: सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता
  • राजनीतिक शुरुआत: 1989 में जनता दल से सांसद बने, केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे
  • राज्यपाल: 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त
  • उपराष्ट्रपति: 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने

उपराष्ट्रपति पद छोड़ने वाले तीसरे व्यक्ति

धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया:

  1. वी.वी. गिरि – 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा
  2. कृष्णकांत – 2002 में कार्यकाल के दौरान निधन
  3. जगदीप धनखड़ – 2025 में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा

चुनाव और कार्यकाल

  • उपराष्ट्रपति चुनाव 2022:
    • धनखड़ को 725 में से 528 वोट मिले
    • विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को केवल 182 वोट
  • उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में संवाद और सहयोग की नीति को प्राथमिकता दी।

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