रींगस-खाटू रेलवे लाइन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण स्थल पर ग्रामीण चर्चा करते हुए

खाटूश्यामजी रेल लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी, विरोध के बीच उठाया गया कदम

केंद्र सरकार ने ₹254.06 करोड़ की लागत वाली रींगस–खाटूश्यामजी रेलवे लाइन के लिए 24.28 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की। ग्रामीणों ने जताया विरोध।

रींगस से खाटूश्यामजी तक प्रस्तावित 17.49 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइन को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद और विरोध के बीच अब रेलवे मंत्रालय (उत्तर पश्चिम रेलवे, निर्माण संगठन) ने भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होते ही क्षेत्र में हलचल तेज हो गई है।

रेलवे द्वारा जारी अधिसूचना में प्रभावित किसानों के नाम और बैंक विवरण भी शामिल हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि अब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया गंभीरता से शुरू की जाएगी।

ग्रामीणों का विरोध और मांगें

इस परियोजना का लंबे समय से स्थानीय ग्रामीण विरोध कर रहे थे। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से मिलकर रेल लाइन योजना को रद्द करने की मांग की थी। उनका कहना था कि यह भूमि उनकी आजीविका का आधार है। लेकिन सरकार ने अधिसूचना जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि परियोजना अब रुकने वाली नहीं है।


परियोजना की स्थिति और आगे की योजना
  • इस रेलवे लाइन को बाद में सलासर होते हुए सुजानगढ़ तक विस्तार दिया जाएगा।
  • पहले चरण में खाटू से पलसाना तक सर्वे व निशानदेही पहले ही पूरी हो चुकी है।
  • मार्च 2024 में केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए ₹254.06 करोड़ का बजट मंजूर किया था।
  • रेलवे ने स्टेशन की जगह भी तय कर दी है।
  • रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ट्रैक को 160 किमी/घंटा की स्पीड के अनुकूल बनाया जाएगा और मजबूत सुरक्षा उपाय जैसे सिग्नलिंग, फेंसिंग आदि को भी लागू किया जाएगा।

रेल मार्गों का विस्तार क्षेत्र के विकास, तीर्थ यात्रा और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है। खाटूश्यामजी जैसे धार्मिक स्थल को बेहतर कनेक्टिविटी देना लंबे समय से जरूरी था, लेकिन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया हमेशा चुनौतीपूर्ण रहती है। अब जब अधिसूचना जारी हो चुकी है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे विरोध कितना असर डाल पाता है।

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