| खिलाड़ी | उम्र (शतक के समय) | देश | शतक |
|---|---|---|---|
| राहुल द्रविड़ | 38 वर्ष 222 दिन | इंग्लैंड (2011) | नाबाद 146 रन |
| सचिन तेंदुलकर | 37 वर्ष 255 दिन | दक्षिण अफ्रीका (2010) | 146 रन |
| अनिल कुंबले | 36 वर्ष 297 दिन | इंग्लैंड (2007) | नाबाद 110 रन |
| रविंद्र जडेजा | 36 वर्ष 233 दिन | इंग्लैंड (2025) | नाबाद 107 रन |
SENA देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में शतक जमाना भारतीय बल्लेबाजों के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। वहां की पिचें और मौसम एशियाई बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं होते। फिर भी भारत के कुछ अनुभवी बल्लेबाजों ने इन मुश्किल परिस्थितियों में उम्र की सभी सीमाएं पार करते हुए बेहतरीन शतक लगाकर इतिहास रच दिया।
राहुल द्रविड़ ने 2011 में इंग्लैंड के ओवल में 38 साल की उम्र में नाबाद 146 रन की पारी खेली थी। भारत को उस टेस्ट में हार मिली, लेकिन द्रविड़ की तकनीक और धैर्य की तारीफ हर तरफ हुई।
सचिन तेंदुलकर ने 2010 में केपटाउन टेस्ट में 37 साल की उम्र में 146 रन बनाए, जो उनके करियर का आखिरी टेस्ट शतक साबित हुआ।
अनिल कुंबले, जिन्हें गेंदबाजी के लिए जाना जाता है, उन्होंने भी 2007 में ओवल टेस्ट में बल्ले से नाबाद 110 रन बनाकर सबको चौंका दिया। ये उनके करियर का इकलौता टेस्ट शतक था।
रविंद्र जडेजा ने हाल ही में मैनचेस्टर टेस्ट में दूसरी पारी में नाबाद 107 रन बनाकर ना सिर्फ मैच बचाया बल्कि एक और रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। वो अभी भी टीम इंडिया का हिस्सा हैं और उनका यह प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन चुका है।
झुंझुनूं जिले में क्रिकेट के प्रति जुनून हमेशा से रहा है। इस रिपोर्ट में बताए गए खिलाड़ियों की उम्र में भी शानदार प्रदर्शन आने वाले युवा खिलाड़ियों को यह संदेश देता है कि मेहनत और अनुभव से हर चुनौती को पार किया जा सकता है — चाहे वो इंग्लैंड की पिच हो या जीवन की कोई परीक्षा।
