सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में 10 साल से पुरानी डीज़ल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के मालिकों के खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई (impounding/चालान आदि) फिलहाल न करने का निर्देश दिया है। बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई तक यह अंतरिम राहत जारी रहेगी और सरकार/अन्य पक्षों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
| क्या रोका गया? | दिल्ली-NCR में 10+ वर्ष डीज़ल और 15+ वर्ष पेट्रोल वाहनों के मालिकों पर दंडात्मक कार्रवाई |
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| किसने आदेश दिया? | सुप्रीम कोर्ट की 3-जज बेंच: **मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई**, जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जस्टिस एन.वी. अंजरिया |
| अगला कदम | केंद्र व अन्य पक्षों से **4 हफ्ते में जवाब**; उसके बाद सुनवाई |
| पृष्ठभूमि | NGT (2015) और SC (2018) के पुराने आदेशों के आधार पर दिल्ली-NCR में पुराने वाहनों पर रोक |
बेंच की मौखिक टिप्पणी: “पहले लोग 40–50 साल तक कार चलाते थे; आज भी विंटेज कारें हैं।” यानी केवल वाहन-आयु के आधार पर प्रतिबंध उचित है या नहीं—कोर्ट फिर से परखेगा।
- 2015 में NGT ने दिल्ली-NCR में 10-साला डीज़ल/15-साला पेट्रोल वाहनों पर रोक का निर्देश दिया था, जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। मौजूदा आदेश उसी व्यवस्था की पुनर्समीक्षा के दौरान दिया गया अंतरिम स्टे है।
- दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा—अगली सुनवाई तक कोई दंडात्मक कदम नहीं, साथ ही केंद्र/अन्य पक्षों से चार हफ्ते में जवाब मांगा गया है।
किन लोगों को अभी राहत?
- दिल्ली-NCR में रजिस्टर्ड वे वाहन-मालिक जिनकी गाड़ियाँ डीज़ल: 10+ वर्ष या पेट्रोल: 15+ वर्ष पुरानी हैं। पुलिस/प्राधिकरण जब्ती, चालान, ईंधन-प्रतिबंध जैसे कदम फिलहाल नहीं उठाएँगे। (आदेश अस्थायी है)।
ध्यान दें: यह राहत दिल्ली-NCR तक सीमित है; राजस्थान/झुंझुनू सहित अन्य राज्यों में पुरानी व्यवस्था यथावत रहेगी जब तक राज्य/अदालत अलग से आदेश न दें। (राष्ट्रीय मीडिया कवरेज में आदेश का दायरा दिल्ली-NCR बताया गया है)।
आगे क्या हो सकता है?
- कोर्ट 2018 के उम्र-आधारित पूर्ण प्रतिबंध को वैज्ञानिक अध्ययन/उत्सर्जन-मानकों (जैसे BS-VI, PUC) की रोशनी में दुबारा परखेगा।
- अंतिम निर्णय तक अंतरिम राहत जारी रह सकती है/बदल भी सकती है—इसलिए वाहन-मालिकों को दस्तावेज़ (PUC, RC, इंश्योरेंस) अद्यतन रखने चाहिए।
दिल्ली-NCR आदेश भले स्थानीय हो, लेकिन पुराने वाहनों पर “केवल उम्र” के आधार पर कार्रवाई का सवाल राष्ट्रीय बहस बन चुका है। आने वाले हफ्तों में पॉलिसी दिशा तय हो सकती है जिसका असर दूसरे राज्यों की नीतियों/वाहन-खरीद-फरोख्त/री-सेल बाज़ार पर पड़ेगा।


