देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या पर चल रही लंबी बहस का सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि सभी कुत्तों को शेल्टर होम में रखना न तो मानवीय है और न ही व्यावहारिक।
कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन कुत्तों का टीकाकरण (Vaccination) और बधियाकरण (Sterilization) हो चुका है, उन्हें उनके प्राकृतिक क्षेत्र या सड़कों पर वापस छोड़ा जाए। साथ ही, आक्रामक या रेबीज से ग्रस्त कुत्तों का विशेष इलाज और निगरानी की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
| तारीख | बेंच का आदेश |
|---|---|
| 11 अगस्त 2025 | दो सदस्यीय बेंच ने सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखने का आदेश दिया। |
| 14 अगस्त 2025 | तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा। |
| 22 अगस्त 2025 | सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कुत्तों का टीकाकरण व बधियाकरण कर उन्हें छोड़ा जाए। देशभर में एक समान नीति बनेगी। |
नई राष्ट्रीय नीति बनेगी
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अब पूरे देश के लिए एक समान नीति (National Policy) बनाई जाएगी। इस नीति में कुत्तों के टीकाकरण, बधियाकरण, देखभाल और पुनर्वास के स्पष्ट प्रावधान होंगे।
पीठ ने कहा कि “ये अंतरिम आदेश हैं। हमने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया है। अब बेतरतीब आदेशों की बजाय एकीकृत दिशा-निर्देश लागू होंगे।”
पशु-प्रेमियों की दलील
पिछले आदेश में दिल्ली-एनसीआर की सभी सड़कों से कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम में भेजने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश को कई संगठनों ने चुनौती दी और कहा कि शेल्टर की क्षमता इतनी नहीं है और यह अमानवीय है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील को स्वीकार करते हुए यह नया आदेश दिया।
- यह फैसला इंसानों की सुरक्षा और जानवरों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाता है।
- शेल्टर पर दबाव घटेगा और कुत्तों की देखभाल व्यवस्थित ढंग से होगी।
- नगर निगम और प्रशासन के लिए स्पष्ट राष्ट्रीय दिशा-निर्देश तैयार होंगे।


